पवित्र नदियाँ - पावन करती और प्रदूषित होती.
गंगा, सिन्धु, सरस्वती, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, कावेरी, शरयु, शिप्रा, ख्याता, गया व गण्डकी इन नदियों का उल्लेख एक संस्कृत श्लोक मे आता है व माना जाता है की बड़ी पवित्र है. भारतीय दर्शन में नदियों का महत्व सदा रहा है. हम आज भी उसी प्राचीन दर्शन के चलते नदियों को नित्य धार्मिक व जीवन के उपयोग में लेने का अधिकार समझते है. अंतर यह आया है की, प्राचीन काल में अधिकार के साथ कर्त्तव्य बोध भी होता था. मैंने पिछले लेख में स्नान की विधि का उल्लेख किया था, जिसमे प्राचीन काल में लोगो द्वारा नदियों में स्नान करने का व उसे स्वछ रखने का वर्णन किया था. हम अपने प्राचीन ग्रंथो का अध्ययन करे तो पायेंगे की हमारे पूर्वज प्राकृतिक संसाधनों का योग्य व प्राकृतिक सवर्धन का पूर्ण विचार करते थे. पुराण काल में की गई अनेक रचनाओ में इस विचार का अनेक स्थनों पर उल्लेख आता है. वेदों में प्रकृति के पञ्च तत्त्व को पांच देवो का रूप दिया गया व उनके दिव्य गुणों का वर्णन किया गया है. कालांतर में हमारी सभ्यता में ज्यो-ज्यो परिवर्तन आया, कुछ हमने लाया व कुछ बाहर के आक्रमणकारीयो के द्वारा प्रतिपादित उनके जीवन-मूल्यों, संस्...