संदेश

2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

महाकुम्भ अमृत स्नान - एक वेदान्तिक विचार

चित्र
महाकुम्भ अमृत स्नान - एक वेदान्तिक विचार  भारत प्रयागराज में विश्व का विशालतम मेला आयोजित हुवा। यह हम भारत वासियों के लिए अति हर्ष का विषय है। इसका कई माध्यमों से प्रचार भी हो रहा है। अतः हम इसी का यहाँ पुनः विषेण प्रस्तुत न करते, वेदान्तिक बिंदु पर अपने विचार प्रस्तुत करते है। अमृत स्नान कितना अद्भुत विचार ने मुझे स्पर्श किया, आपसे साझा करता हूँ।  विगत समय में महाकुम्भ में सम्मिलित होने के लिए अपार आस्थावानों को जाते देखा। विचार किया की यह अमृत सन्ना क्या है? अमृत के प्रकट होने की कथा तो सभी ने सुनी होगी।  तो उसका उसका मर्म क्या है व अमृत का रहस्य क्या है? जब मानुष अपने मन मस्तिष्क रूपी सागर को शुद्ध स्वरुप आत्मा (जो की परमात्मा का अंश है) के आधार बना के मथता या मंथन करता है, तद्पश्चात सांसारिक अनाकर्षित (विरुद्ध) व आकर्षित विचारों का उत्सर्जन होता है। यह जीवन मृत्यु का कारक है।  हलाहल विष स्वरुप अनाकर्षित विचार से भय व आकर्षित विचारों के प्रति मोह, यही मोह व भय के विचार मनुष्य को जीवन-मृत्यु के चक्र में ग्रस्त होता है। किन्तु मनुष्य यह मोह व भय से परे परम तत्व को ज...

क्या प्राचीन उदार व प्रगतिशील भारतीय समाज कट्टरता की ओर ढकेला जा रहा है?

चित्र
क्या प्राचीन उदार व प्रगतिशील भारतीय समाज कट्टरता की ओर ढकेला जा रहा है? आज का लेख प्रश्न से प्रारंभ कर रहे है। ज्ञात हो की, भारतीय समाज प्राचीन समय से ही एक उन्नत, उदार व प्रगतिशील समाज रहा है। इसके परिणाम सवरूप भीन्न भीन्न मत व सम्प्रदायों में विभक्त भारतीय समाज ने बहाय लोगों द्वारा "हिन्दू" संज्ञा से उद्बोधन को भी स्वीकार कर हिन्दू शब्द को स्वयं के आस्था का प्रतिक बना लिया है। हमारे  शास्त्रों में धर्म पालन पर बल दिया गया।  यहाँ धर्म अर्थ कर्तव्यों से है। जैसे शाषकों का धर्म, नागरिकों का धर्म, ग्रहस्तों व ब्रम्ह्चारियों का धर्म। शास्त्रों में परमेश्वर की विभन्न रूपों में वर्णन हुवा है।    प्राचीन भारतीय विचारधारा में परमेश्वर की व्याख्या उदार है: एकं सद विप्रा बहुधा वदन्ति।। - ऋग्वेद एक ही परमं तत्व परमेश्वर को विद्वान् कई नामों से बोलते हैं। वैदिक विचारधारा के अनुसार आप उसे चाहे जो प्राकृतिक नाम दे सकते हैं। वह तो एक दिव्य, अनुपम अद्वितीय शक्ति की कल्पना इष्ट है, जो इस विश्व का उत्पादन, संरक्षण और संहरण करते हुए इसका संचालन कर रही हैं।   तदेजति तन्नेजति तददू...