नगरीय विकास में क्या क्षीण होगा नागरीकों को स्वास्थ?

उपरोक्त शीर्षक में प्रश्नचिन्ह आवश्यक होगा पर निचे लेख में संभावित उत्तर पर चर्चा अवश्य की है. स्वस्थ सुखी जीवन के लिए संतुलित भोजन व व्यायाम अत्ति आवश्यक है. प्रायः ऊक्त पंक्ति आपने कई बार पढ़ी व सुनी होगी. यहाँ इसी विषय को किसी भिन्न रूप में प्रस्तुत करने का कोई विचार नहीं है. यहाँ स्वस्थ, सुखी जीवन व हमारे शहरी विकास के परस्पर सम्बन्ध पर चिंतन अवश्य किया है.

यह आधुनिक जीवनशैली  की विडम्बना है कि हमारे आज के समाज में कई नवीन रोग अस्तित्व में आ गए है. उद्धरण स्वरुप मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, आखों की दृष्टी कम होना, मानसिक तनाव जैसे कई साधारण से रोग अब महामारी का रूप लेते जा रहे है. इन साधारण से प्रतीत होने वाले रोगों में हमारी आधुनिक जीवनशैली अधिक दोषी है. इस के साथ कई और परिस्थितिया भी हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है. उन में से:

अव्यवस्थित शहरी विकास

Crowded Streetहमारे भारतीय शहरी व्यवस्था हमें रोगी करने में भी कोई कमी नहीं करती. जनसंख्या वृद्धि से प्रभावित समस्याएं संभवतः हमारे शहरी विकास के कर्णधारों को अधिक मुक्तता नहीं देती के वे शहरों के पर्यावरण पर भी विचार करें. शहरी विकास योजनाकारों को बढती जनसंख्या के लिए आवास व विपणन केन्द्रों की निर्माण योजनओं का अधिक दबाव होता है. आधुनिक आवश्कताओ के अनुरूप नवीन शहरी विकास योजना पर आधारित नगरों का निर्माण हमारे यहाँ भी कम ही हुवा है. अधिकांश विकास कार्य तो पुराने नगरों का हो रहा है. ऐसे नगरों में नवीन भवनों, कार्यालयों, मॉल व अन्य उपलक्ष के लिए रिक्त भूखंडो का उपयोग होता है.

CityGroundसामान्यतः हम लोगो में से कईयों ने अपने जीवन में यह अनुभव किया होगा कि, अपने घर के आसपास किसी मैदान पर बचपन में हम खेल खेला करते थे और आज वहाँ निर्माण कार्य हो गया हो या प्रगति पर होगा. एक तो ऐसे शहरों में रिक्त भूखण्ड अब दिखाई नहीं देते, दूसरा सार्वजनिक उद्यानों की स्थिति कोई हर्षप्रद नहीं दिखती. उद्यान नाम के ही लगते है, उद्यान के अपेक्षा मैरिज गार्डन अधिक प्रतीत होते है. पेड़ कम पर लाइटिंग और ग्रिल्लिंग ही अधिक दृष्टिगत होती है. इसमें जोगिंग रैंप अवश्य होगी संभवतः पेवेर्स लगे हुवे होंगे, ताकि पेरों में धुल मिट्टी या कीचड़ न लगे, भले से इस पर चल चल कर या दोड़ कर हम अपने घुटने दर्द करवाले. विशाल वृक्षों के जगह सुन्दर दिखने वाले पेड़ - पोधे लगाये जाते है. यह दिखने में सुन्दर पेड़ – पोधे आखों को तो अच्छे लगते होंगे पर फेफड़ो के लिए तो विशाल हरेभरे नीम, पीपल जैसे वृक्ष ही अच्छे होते है. इन वृक्षों से ही हमारे पर्यावरण की शुद्धता बनी रहती है. ऐसे वृक्षों का अधिक से अधिक हमारे शहरों में होना शहरी पर्यावरण के लिए अत्त्यंत आवश्यक है. कई उद्यानों में बच्चों के क्रिकेट, फुटबॉल अदि खेलों को खेलने से मनाई होती है, ताकि वहाँ के फूल-पोधों को कोई हानी न पहुचें. ऐसे में युवा और वयस्कों का इन उद्यानों में खेलना विचार के भी बहार होगा. आख़िर सभी तो पेशेवर खिलाडी बनना नहीं चाहते होंगे जो किसी स्पोर्ट्स अकादमी में जाये और खेले. ऐसे में तो यह लोग कहाँ खेले. लाख सुनते है, खेलना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है.

CityParkविश्व के अन्य देशों के नगरों के अनुरूप हमारे नगरों में भी जनसंख्या के अनुपात में मैदान रूपी रिक्त भूखण्ड होना चाहिए जिसे सामान्य जन खेल-कूद आदि कार्य के उपयोग में ले सके. ऐसे मैदानों में बड़े वृक्षों की अच्छी संख्या होनी चाहिए. मैदान के चारों तरफ़ विशाल वृक्षों को लगाना चाहिए व मैदान का लैंडस्केपिंग कुछ विशेष होना चाहिए. जिससे मैदान के उपयोगकर्ता नागरिकों को व्यस्त शहरी जीवनचर्या में भी कुछ समय प्रकृति के सानिध्य में व्यतीत करने का अवसर मिल सके.

स्वस्थ सुखी जीवन के लिए प्रकृति के सानिध्य में समय व्यतीत करना व खेलना-कूदना आवश्यक है, व शहरों के पर्यावरण के लिए विशाल वृक्षों से परिपूर्ण खुले मैदान आवश्यक है.

पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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